दिव्यांगों के लिये आवश्यक संसाधन के साथ स्वच्छ माहौल तैयार हो-डॉ राजेश।
संसाधन मिले तो कोयला को भी हीरा बना सकते है दिव्यांग-डॉ राजेश।
प्रकाशनार्थ। डुमरा। विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था आरोग्या फाउंडेशन द्वारा संचालित दिव्यांगन केंद्र पर "सेरेब्रल पाल्सी दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास ,उनकी वर्तमान स्थिति एवं अभिभावकों की भूमिका " पर परिचर्चा साथ ही सघन जांच व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उदघाटन उपस्थित दिव्यांग बच्चों व अभिभावकों द्वारा केक काट कर किया गया।
आरोग्या के सचिव सह फिजियोथेरेपी बिशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार सुमन ने बताया की हमे दिव्यांगों के प्रति संवेदना का परिचय देते हुए हमारा महत्वपूर्ण लक्ष्य दिव्यांगों की अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना है। समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये दिव्यांगों की मदद करना साथ ही इसके अतिरिक्त जीवन के सभी पहलुओं में दिव्यांगों के सभी मुद्दे को बताना व समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना होना चाहिये।
डॉ राजेश ने बताया कि समाज के इस वर्ग को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जाये तो वे कोयला को हीरा भी बना सकते हैं। समाज में उन्हें अपनत्व-भरा वातावरण मिले तो वे इतिहास रच देंगे और रचते आएं हैं। एक दिव्यांग की जिंदगी काफी दुखों भरी होती है। घर-परिवार वाले अगर मानसिक सहयोग न दें, तो व्यक्ति अंदर से टूट जाता है। वैसे तो दिव्यांगों के पक्ष में हमारे देश में दर्जन भर कानून बनाए गए हैं, यहां तक कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी दिया गया है, परंतु ये सभी चीजें गौण हैं, जब तक हम उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद ना करें। वे भी तो मनुष्य हैं, प्यार और सम्मान के भूखे हैं। उन्हें भी समाज में आम लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है। उनके अंदर भी अपने माता-पिता, समाज व देश का नाम रोशन करने का सपना है। बस स्टॉप, सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने, पंक्तिबद्ध होते वक्त हमें यथासंभव उनकी सहायता करनी चाहिए। एक ऐसा स्वच्छ माहौल तैयार करें, जहां उन्हें क्षणिक भी अनुभव ना हो कि उनके अंदर शारीरिक रूप से कुछ कमी भी है।
डॉ राजेश ने उपस्थित दिव्यांगों को नेशनल ट्रस्ट, भारत सरकार की निरामया स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी भी दी। दो शिविर में आये 26 बच्चों की जांच व परामर्श, क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट मधुरिमा रानी द्वारा किया गया।
मौके पर आरोग्या के कार्यक्रम पदाधिकारी राहुल रंजन,मधुरिमा रानी ,राहुल पाल, अंजलि,पुष्पा,पूनम,इसरत,ऋतु समेत दर्जनों बच्चे व उनके अभिभावक उपस्थित थे।
संसाधन मिले तो कोयला को भी हीरा बना सकते है दिव्यांग-डॉ राजेश।
प्रकाशनार्थ। डुमरा। विश्व दिव्यांगता दिवस के अवसर पर दिव्यांगता के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्था आरोग्या फाउंडेशन द्वारा संचालित दिव्यांगन केंद्र पर "सेरेब्रल पाल्सी दिव्यांग व्यक्तियों के पुनर्वास ,उनकी वर्तमान स्थिति एवं अभिभावकों की भूमिका " पर परिचर्चा साथ ही सघन जांच व परामर्श शिविर का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उदघाटन उपस्थित दिव्यांग बच्चों व अभिभावकों द्वारा केक काट कर किया गया।
आरोग्या के सचिव सह फिजियोथेरेपी बिशेषज्ञ डॉ राजेश कुमार सुमन ने बताया की हमे दिव्यांगों के प्रति संवेदना का परिचय देते हुए हमारा महत्वपूर्ण लक्ष्य दिव्यांगों की अक्षमता के मुद्दे की ओर लोगों की जागरुकता और समझ को बढ़ाना है। समाज में उनके आत्म-सम्मान, लोक-कल्याण और सुरक्षा की प्राप्ति के लिये दिव्यांगों की मदद करना साथ ही इसके अतिरिक्त जीवन के सभी पहलुओं में दिव्यांगों के सभी मुद्दे को बताना व समाज में उनकी भूमिका को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, बराबरी का मौका प्रदान कराना, उचित पुनर्सुधार के साथ उन्हें सहायता देना होना चाहिये।
डॉ राजेश ने बताया कि समाज के इस वर्ग को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जाये तो वे कोयला को हीरा भी बना सकते हैं। समाज में उन्हें अपनत्व-भरा वातावरण मिले तो वे इतिहास रच देंगे और रचते आएं हैं। एक दिव्यांग की जिंदगी काफी दुखों भरी होती है। घर-परिवार वाले अगर मानसिक सहयोग न दें, तो व्यक्ति अंदर से टूट जाता है। वैसे तो दिव्यांगों के पक्ष में हमारे देश में दर्जन भर कानून बनाए गए हैं, यहां तक कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण भी दिया गया है, परंतु ये सभी चीजें गौण हैं, जब तक हम उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ करना बंद ना करें। वे भी तो मनुष्य हैं, प्यार और सम्मान के भूखे हैं। उन्हें भी समाज में आम लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है। उनके अंदर भी अपने माता-पिता, समाज व देश का नाम रोशन करने का सपना है। बस स्टॉप, सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने, पंक्तिबद्ध होते वक्त हमें यथासंभव उनकी सहायता करनी चाहिए। एक ऐसा स्वच्छ माहौल तैयार करें, जहां उन्हें क्षणिक भी अनुभव ना हो कि उनके अंदर शारीरिक रूप से कुछ कमी भी है।
डॉ राजेश ने उपस्थित दिव्यांगों को नेशनल ट्रस्ट, भारत सरकार की निरामया स्वास्थ्य बीमा योजना की जानकारी भी दी। दो शिविर में आये 26 बच्चों की जांच व परामर्श, क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट मधुरिमा रानी द्वारा किया गया।
मौके पर आरोग्या के कार्यक्रम पदाधिकारी राहुल रंजन,मधुरिमा रानी ,राहुल पाल, अंजलि,पुष्पा,पूनम,इसरत,ऋतु समेत दर्जनों बच्चे व उनके अभिभावक उपस्थित थे।
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