प्रखंड में शिक्षा ब्यवस्था हुआ बे-पटरी --
दलकावा प्रा.वी.में के वर्ग कक्ष में थे एक शिक्षक,चार बच्चे मिडडेमील था बन्द।
सोनबरसा--प्रखंड में शिक्षा ब्यवस्था काफी पहले से बे-पटरी हो चुकी है,कारण इस विभाग के अधिकारी ब्यवस्था सुधारने में शायद दिलचस्पी ही नही रखते।मिडडेमील का हाल तो और बुरा है,यह बने न बने,मगर कागजो पर तो बन ही जाता है।
विद्यालयों के पठन पाठन का हाल जानने सीतामढ़ी की आवाज की टीम क्षेत्र के दौरे पर थी,तब सड़क किनारे पोखर के बाद एक विद्यालय भवन नजर आया।अब जाने के लिए रास्ता ढूंढा जाने लगा।पोखर के किनारे बाइक जा नही सकती थी,काफी धुलकाव व खतरनाक किनारा था,जरा सा मिस्टेक से पोखर में गिर सकते थे,एक ग्रामीण ने दूसरा रास्ता बताया,वहां बिजली विभाग वालो ने रास्ते पर पोल रख कर रास्ता बाधित कर डाला था।किसी तरह बाइक को विद्यालय के परिसर में ले जाने में सफल रहे।यहां का बाहरी दृश्य ही विद्यालय की अराजक स्थिति को बयां कर रहा था।
समय 11 : 29 मिनट और 44 सेकेंड पर प्राथमिक विद्यालय दलकावा दक्षिणी के अंदर पहली तस्वीर ली गयी,तब एक शिक्षक और दो बच्चे विद्यालय में थे।इसके थोड़ी देर बाद दो बच्चे भी आ गए।
पूछने पर शिक्षक ने खुद का परिचय विद्यालय के प्रभारी भोला साह के रूप में दिया।
बताया-आज विद्यालय में अकेले है,एक धर्मेंद्र नाम के टीचर है,दिल्ली बोर्ड की डिग्री है,बीच मे नौकरी पर नही थे,अब पुनः उनके बहाली का पत्र आया तो इसी वर्ष से पढ़ाने आते है,आज नही आये है,छूटटी पर है।पूछने पर की छूटटी का आवेदन कहां है,बोले ,उक्त शिक्षक का वेतन बन्द है,वे आज नही आये है,ऐसे रोज आते हैं।
विद्यालय में मिडडेमील बन्द था,किचेन में ताला लगा था,एक शौचालय अधूरा था,जो था वह ऐसा की जाने से पहले कोई सौ बार सोंचेगा।
पूछने पर की क्यो नही बना,प्रभारी ने बताया,अब आएगी तो बनाएगी।
यहां बच्चों की जान भी खतरे में--एक दो ग्रामीण खेत की तरफ आते जाते दिखे-पूछने पर की यह पोखर कैसा है ?
बताया-यह सरकारी पोखर है,यहां विद्यालय में इसी पोखर किनारे से बच्चे विद्यालय आते है,खतरा तो है,लेकिन क्या करें,दूसरा कोई उपाय नही है।
विद्यालय में नामांकित 89 बच्चों में 46 लड़का और 43 लड़की है,जिसमे साढ़े ग्यारह में दो और उसके कुछ देर बाद कुल चार बच्चे उपस्थित दिखे।इस वक्त तक हाजरी नही बनी थी।
यहां वर्गों की पढ़ाई के लिए चार कमरे है,लेकिन बांकी में ताला लगा था,स्वाभाविक है जहां दो शिक्षक हो,एक उपस्थित हों,चार बच्चे हो वहां दूसरा कमरा खुले भी तो क्यो।मतलब साफ है,इस विद्या की मन्दिर में शिक्षा,शिक्षक और बच्चों के अलावे अन्य अराजकता,लापरवाही जरूर दिखी।
दलकावा प्रा.वी.में के वर्ग कक्ष में थे एक शिक्षक,चार बच्चे मिडडेमील था बन्द।
सोनबरसा--प्रखंड में शिक्षा ब्यवस्था काफी पहले से बे-पटरी हो चुकी है,कारण इस विभाग के अधिकारी ब्यवस्था सुधारने में शायद दिलचस्पी ही नही रखते।मिडडेमील का हाल तो और बुरा है,यह बने न बने,मगर कागजो पर तो बन ही जाता है।
विद्यालयों के पठन पाठन का हाल जानने सीतामढ़ी की आवाज की टीम क्षेत्र के दौरे पर थी,तब सड़क किनारे पोखर के बाद एक विद्यालय भवन नजर आया।अब जाने के लिए रास्ता ढूंढा जाने लगा।पोखर के किनारे बाइक जा नही सकती थी,काफी धुलकाव व खतरनाक किनारा था,जरा सा मिस्टेक से पोखर में गिर सकते थे,एक ग्रामीण ने दूसरा रास्ता बताया,वहां बिजली विभाग वालो ने रास्ते पर पोल रख कर रास्ता बाधित कर डाला था।किसी तरह बाइक को विद्यालय के परिसर में ले जाने में सफल रहे।यहां का बाहरी दृश्य ही विद्यालय की अराजक स्थिति को बयां कर रहा था।
समय 11 : 29 मिनट और 44 सेकेंड पर प्राथमिक विद्यालय दलकावा दक्षिणी के अंदर पहली तस्वीर ली गयी,तब एक शिक्षक और दो बच्चे विद्यालय में थे।इसके थोड़ी देर बाद दो बच्चे भी आ गए।
पूछने पर शिक्षक ने खुद का परिचय विद्यालय के प्रभारी भोला साह के रूप में दिया।
बताया-आज विद्यालय में अकेले है,एक धर्मेंद्र नाम के टीचर है,दिल्ली बोर्ड की डिग्री है,बीच मे नौकरी पर नही थे,अब पुनः उनके बहाली का पत्र आया तो इसी वर्ष से पढ़ाने आते है,आज नही आये है,छूटटी पर है।पूछने पर की छूटटी का आवेदन कहां है,बोले ,उक्त शिक्षक का वेतन बन्द है,वे आज नही आये है,ऐसे रोज आते हैं।
विद्यालय में मिडडेमील बन्द था,किचेन में ताला लगा था,एक शौचालय अधूरा था,जो था वह ऐसा की जाने से पहले कोई सौ बार सोंचेगा।
पूछने पर की क्यो नही बना,प्रभारी ने बताया,अब आएगी तो बनाएगी।
यहां बच्चों की जान भी खतरे में--एक दो ग्रामीण खेत की तरफ आते जाते दिखे-पूछने पर की यह पोखर कैसा है ?
बताया-यह सरकारी पोखर है,यहां विद्यालय में इसी पोखर किनारे से बच्चे विद्यालय आते है,खतरा तो है,लेकिन क्या करें,दूसरा कोई उपाय नही है।
विद्यालय में नामांकित 89 बच्चों में 46 लड़का और 43 लड़की है,जिसमे साढ़े ग्यारह में दो और उसके कुछ देर बाद कुल चार बच्चे उपस्थित दिखे।इस वक्त तक हाजरी नही बनी थी।
यहां वर्गों की पढ़ाई के लिए चार कमरे है,लेकिन बांकी में ताला लगा था,स्वाभाविक है जहां दो शिक्षक हो,एक उपस्थित हों,चार बच्चे हो वहां दूसरा कमरा खुले भी तो क्यो।मतलब साफ है,इस विद्या की मन्दिर में शिक्षा,शिक्षक और बच्चों के अलावे अन्य अराजकता,लापरवाही जरूर दिखी।
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